हिन्दी अनुभव कविता
हिंदी अनुभव कविता
आँखे
ये आँखे न जाने क्या क्या कहती है ।
कभी सच
कभी झूट
कभी प्यार
कभी नफरत
कभी ममता
कभी गुस्सा
कभी डर
कभी खोफ
कभी भय
कभी हँसना
कभी रोना
आँखे न जाने क्या क्या कहती है कहलाती है
सहती है
रुलाती है
हँसाती है
छिप छिप कर शर्माती है
तरसाती है तरसती है
सपने साकार करती है
सपनों को सच से जोड़ती है
सपनों को सच से तोड़ती है
चुभने पे नम हो जाती है।
मासूम सी ये आँखे भयानक भी बन जाती है
न जाने क्या क्या कहती है ये आँखे।
आँखे महसूस करती है
इशारा करती है
नजरे उड़ाती है
नजरे गिराती है
ये आँखे न जाने क्या क्या करती है?
शरीर का सबसे सुंदर हिस्सा है
मन का आईना है आत्मा की परछाई है
कभी ये चंचल जैसे कोई झरना
वीरानों को छू कर सिखा दे सवरना
कभी ये आँखे गीत गाती है
कभी ये आँखे गजल गाती है।
आँखे है जादू की पुड़िया
कभी नाचती है कभी नचाती है।
एक ही नजर में सुना डाली
सारी ये कहानी, आँखे है हमारी करती है कविता
इशारो में बोलती है ये आँखे ,आँखे हमारी
आँखे रौशनी है अँधेरी है दुनिया में अनोखी है निराली है।
सपने दिखाती हिम्मत जुटाती है।
न जाने आँखे क्या क्या कहती है।
व्यक्तित्व बताती है
तस्वीर बनाती
एक नया एहसाह कराती है।
जीवन को जीना सिखाती।
ये आँखे न जाने क्या क्या बताती है।
ये आँखे
ये आँखे
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